स्वामी विवेकानन्द शिकागो सम्मलेन
में अपना भाषण पूरा करने के बाद जब मंच से नीचे उतरे तो तभी एक सुन्दर युवती सभा
से उठकर उनके पास आयी, वह स्वामी जी से मिलने को बेचैन थी| वह युवती कहती है-
“ स्वामी जी, आपके
विचारों ने मुझे बहुत ज्यादा प्रभावित किया है और मेरे अन्तर्मन को झिंझोड़कर रख
दिया है| मेरे दिल में आपके प्रति आदर और सम्मान का भाव जाग्रत हो गया है और मुझे
आपसे मन ही मन प्रेम हो गया है| मैं आपसे प्रार्थना करती हूँ कि आप मुझसे विवाह कर
लें|”
स्वामी जी के
मुखमंडल पर तेज चमक रहा था, स्वामी जी ने पूछा-
“ आप मुझसे विवाह
क्यों करना चाहती हैं?
इस पर युवती ने तपाक
से उत्तर दिया-
“ताकि मैं आप जैसी
तेजस्वी संतान की माता बनने का सौभाग्य प्राप्त कर सकूँ|”
स्वामी जी उस युवती
के पास गए और उसके चरण स्पर्श करके बोले-
“ लीजिये, आज से आप
मेरी माता हो गई और मैं आपका पुत्र| अपने इस पुत्र को आशीर्वाद दीजिये कि वह जीवन
भर समाज की सेवा करता रहे|”
यह सुनकर युवती
निरुत्तर हो गई और स्वामी विवेकानन्द जी के प्रति उसकी श्रद्धा और भी बढ़ गई|
प्रिय दोस्तों, इस प्रेरक प्रसंग से हमें
यह शिक्षा मिलती है कि स्वामी विवेकानन्द जी की तरह हमारा चरित्र भी
ऊँचा हो, और हमें अपने चरित्र को उठाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए| जिस समाज
में अच्छे चरित्रवान लोग रहते हैं वो देश और समाज हमेशा उन्नति करता है|
धन्यवाद|
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