एक बड़ी बीमा कंपनी में कई सारे कर्मचारी काम करते थे | एक दिन उस कंपनी के
मालिक से एक सज्जन मिलने आये, उनका नाम सदानंद था | बीमा कंपनी के मालिक ने सदानंद
का परिचय अपने कर्मचारियों से करवाया और अपनी कंपनी दिखाने लगे |
तभी सदानंद की नजर एक क्लर्क पर पड़ी, जो बड़े ही गुस्से में काम कर रहा था |
सदानंद को यह देखकर बड़ा ही अजीब लगा, उन्होंने उस क्लर्क के पास जाकर पूछा- क्यों
भाई, बड़े गुस्से में लग रहे हो ?
क्लर्क ने झुंझलाते हुए कहा- गुस्सा ना करूँ तो क्या करूँ, मेरी तो किस्मत ही
फूटी है ; इतनी पढ़ाई करी, इतनी सारी डिग्री हैं और यहाँ क्लर्क की नौकरी कर रहा
हूँ, मेरी किस्मत ही बेकार है |
ऐसा कहकर वह क्लर्क पुनः उसी भाव से अपना काम करने लगा |
थोड़ी दूरी पर एक अन्य क्लर्क बड़े ही परेशान और उदास भाव से काम कर रहा था |
सदानंद ने उसके पास जाकर पूछा- क्यों भाई, बड़े परेशान नजर आ रहे हो ?
वह उदास भाव से बोला- क्या करें भैया ? रोजी-रोटी कमाने के लिए काम कर रहा
हूँ, एक परेशानी थोड़े ना है, कई परेशानी हैं |
तभी सदानंद की नजर एक तीसरे क्लर्क पर पड़ी, जो प्रसन्न भाव से अपने काम में
लगा हुआ था | सदानंद ने उसके पास जाकर पूछा- भैया, बड़े ही खुश नजर आ रहे हो ?
इस पर उसने जवाब दिया- हाँ भैया, मैं क्लर्क का काम लगभग पूरा सीख गया हूँ, अब
मैं किसी दूसरी कंपनी में मैनेजर की नौकरी के लिए कोशिश करूँगा |
सदानंद ने पूछा- क्या तुम अपने काम से खुश हो ?
उस आदमी ने उत्साहपूर्वक कहा- हाँ, बिल्कुल खुश हूँ | यह काम सीखा रहेगा, तो
कल को जब मैं मैनेजर बनूँगा, तब अपने नीचे काम करने वाले कर्मचारियों को अच्छे से
प्रोत्साहित करूँगा, इसलिए मैं इस काम को ख़ुशी-ख़ुशी करता हूँ |
सदानंद तीसरे क्लर्क की बात सुनकर बड़ा खुश हुआ | सदानंद ने मन ही मन सोचा-
तीनों व्यक्ति एक ही काम कर रहे हैं, पर काम के प्रति उनके नजरिये से उनके काम
करने के तरीके में अंतर आ गया है | दुनिया में कुछ लोग पहले व्यक्ति की तरह होते
हैं, जो मनचाहा काम न मिलने पर मजबूरी में दूसरा काम नीरस भाव से करते हुए अपने
भाग्य को कोसते रहते हैं ; कुछ दूसरे व्यक्ति की तरह होते हैं, जो काम को अपनी आजीविका मानकर लकीर के
फ़कीर की तरह काम करते हैं ; वहीं कुछ लोग तीसरे व्यक्ति की तरह अपने काम को पूरे
लगन और सीखने की इच्छा से करते हैं, उनके जीवन का ध्येय हमेशा बड़ा होता है |
अगले दिन, तीसरे व्यक्ति को एक पत्र प्राप्त हुआ, जब उसने पत्र खोलकर देखा तो
उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा | सदानंद ने अपने मित्र से सलाह-मशविरा करके, तीसरे
व्यक्ति के काम करने की गुणवत्ता को देखकर उसे मैनेजर का पद दिलवा दिया था |
प्रिय दोस्तों, जीवन में जो भी काम करो, उसे पूरी लगन और खुश
होकर करो तथा हमेशा अपने जीवन का एक बड़ा मकसद बना कर रखो | पूरे समर्पण भाव से काम
करने से जीवन में निरंतर कामयाबी हासिल होती है | धन्यवाद|
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