चीन के पश्चिमी जंगलों में जंगली मुर्गे-मुर्गियों का एक झुण्ड रहता था, उनमें
से एक मुर्गा हमेशा अपनी सुंदरता
की वजह से उदास रहता था | वह मुर्गा जब दूसरे पंछियों को देखता, उसे अपने
मटमैले-काले रंग पर बहुत शर्म महसूस होती |
उसी जंगल में सुनहरे तीतरों का एक झुण्ड भी रहता था | जब वह मुर्गा, सुनहरे
तीतरों के झुण्ड को देखता तो वह उनके आकर्षक और खूबसूरत सुनहरे रंग को देखकर बेहद
प्रभावित हो जाता, फिर मन ही मन सोचने लगता- हे भगवान, तुमने इन्हें इतना सुंदर
रंग-रूप दिया है | काश ! तू मुझे भी ऐसा ही सुंदर रंग-रूप देता तो कितना अच्छा
होता |
एक दिन उस मुर्गे ने जंगल में बहुत से सुनहरे पंख बिखरे हुए देखे, जो सुनहरे
तीतरों के खेलने-कूदने की वजह से गिर गए थे |
यह देखकर वह मुर्गा बेहद खुश हो गया और मन ही मन सोचने लगा- इन सुंदर सुनहरे
पंखों को लगाकर मैं भी सुंदर रंग-रूप का मालिक बन जाऊँगा |
यह ख्याल मन में आते ही उसने सुनहरे तीतरों के बिखरे पंख उठाये और उन्हें अपनी
पूँछ के आस-पास सजा दिया | इसके बाद मुर्गा इतराते हुए जंगल में घूमने लगा |
जंगल में जो भी पंछी उसे देखता, वह मन ही मन उस पर खूब हँसता |
उस मुर्गे को उसके झुण्ड और परिवार के अन्य मुर्गे-मुर्गियों ने बहुत समझाया
कि सुंदर दिखने का ऐसा झूठा नाटक करना छोड़ दे और अपने वास्तविक रंग-रूप से ही
प्यार करे |
परन्तु उस मुर्गे पर उनकी बातों का कोई असर नहीं हुआ, उसे लगा कि वे सब उसका
सुंदर रंग-रूप देखकर ईर्ष्या कर रहे हैं, इसलिए फालतू की नसीहत दे रहे हैं |
कुछ देर बाद, वह मुर्गा जंगल में घूमते-घूमते सुनहरे तीतरों के झुण्ड के पास
पहुँचा और मन ही मन सोचने लगा कि सुनहरे तीतर उसके सुंदर रंग-रूप की तारीफें
करेंगे |
पर उसे देखते ही सुनहरे तीतरों ने जोर का ठहाका लगाया |
एक सुनहरे तीतर ने उपहास उड़ाते हुए कहा- देखो इस बेवकूफ मुर्गे को ! यह हमारे
गिरे हुए पंखों को लगाकर हमारी नक़ल कर रहा है | आओ, इस नकलची मुर्गे को अपनी
चोंचों और पंजों से सबक सिखाते हैं |
यह सुनते ही सभी तीतर मुर्गे पर टूट पड़े और मार-मारकर उसे अधमरा कर दिया |
मुर्गा भागा-भागा अपने झुण्ड के पास पहुँचा और सुनहरे तीतरों की शिकायत करने
लगा- बचाओ, सुनहरे तीतरों ने बेवजह मुझ पर हमला कर दिया है |
इस बात पर एक बुजुर्ग मुर्गे ने समझाया- बेटा, गलती उनकी नहीं, गलती तुम्हारी
है | हमने तुम्हें पहले ही समझाया था कि दिखावटी रंग-रूप के चक्कर में मत पड़ो, तुम
जैसे हो उसी में सुंदर दिखते हो, लेकिन तुम नहीं माने | तुमने सुनहरे तीतरों के
पंख लगाकर उनकी नक़ल उतारने के साथ स्वयं के रंग-रूप का भी अपमान किया है | जो जीव
दूसरी प्रजाति के जीवों के रंग-रूप की नक़ल करने में लगा रहता है, वह सिर्फ अपमान
ही पाता है |
उस अधमरे मुर्गे को अपनी गलती का अहसास हो चुका था, उसने उसी समय से बाहरी
दिखावटी रंग-रूप की सुंदरता का मोह त्याग दिया |
प्रिय दोस्तों, ईश्वर ने हमें जिस रंग-रूप में बनाया है, उसी
में संतुष्ट रहकर अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए ; कर्मों की सुंदरता, रंग-रूप
की सुंदरता से अधिक श्रेष्ठ होती है | धन्यवाद |
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