यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है | मुंबई शहर में सुरेन्द्र नाम का एक व्यक्ति
रहता था, जो टैक्सी चलाता था |
सुरेन्द्र की मासिक आय ज्यादा नहीं थी, जिस वजह से स्वयं, पत्नी, तीन बच्चों
और बूढ़ी माँ सहित छः आदमियों के परिवार का गुजर-बसर करना आसान काम नहीं था |
आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से सुरेन्द्र बड़ा परेशान रहता था, वह ज्यादा से ज्यादा रुपये कमाना चाहता था, लेकिन कितनी भी मेहनत कर ले, दस-बारह हज़ार से ज्यादा की आमदनी नहीं हो पाती थी |
आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से सुरेन्द्र बड़ा परेशान रहता था, वह ज्यादा से ज्यादा रुपये कमाना चाहता था, लेकिन कितनी भी मेहनत कर ले, दस-बारह हज़ार से ज्यादा की आमदनी नहीं हो पाती थी |
एक शाम सुरेन्द्र अपने घर जा रहा था, उस दिन उसकी कोई ख़ास कमाई नहीं हुई थी,
इसलिए वह थोड़ा उदास था; तभी उसने देखा, सड़क किनारे खड़ा एक जेंटलमैन टैक्सी के लिए
पुकार रहा था |
सुरेन्द्र ने जेंटलमैन के सामने टैक्सी लगाकर पूछा- नमस्ते सर, कहाँ जाना है
आपको? मेरी टैक्सी में बैठिये, मैं आपको वहाँ छोड़ दूँगा |
जेंटलमैन, सुरेन्द्र की टैक्सी में बैठा और पता बताकर, चलने को कहा |
सुरेन्द्र, बातूनी, मिलनसार और सज्जन व्यक्ति था | सुरेन्द्र और जेंटलमैन
बातें करते हुए आगे बढ़ रहे थे |
बातों ही बातों में जेंटलमैन ने सुरेन्द्र के व्यवहार, परिवार और आय के विषय
में पता कर लिया था, फिर प्रस्ताव देते हुए पूछा- अगर तुम दस हजार रुपये प्रतिदिन
कमाओ तो कैसा रहेगा? मेरे साथ काम करोगे तो आराम से दस-पन्द्रह हज़ार रुपये
प्रतिदिन कमा सकते हो |
सुरेन्द्र ने जेंटलमैन से उत्साहपूर्वक पूछा- ऐसा कौन सा काम है, जो एक दिन
में दस-पंद्रह हज़ार रुपये कमा कर दे?
जेंटलमैन ने सुरेन्द्र को एक सफ़ेद थैली दिखाकर कहा- मेरा एक आदमी रोज तुम्हें
इस तरह की सफ़ेद थैलियों से भरा बैग देगा, अगर तुम बैग को सही-सलामत पहुँचाते हो तो
तुम्हें हाथों-हाथ पाँच हज़ार रुपये दिए जायेंगे | इस तरह तुम जितनी बार बैग को सही
पते पर पहुँचाओगे, तुम्हें उतनी बार पाँच हज़ार रुपये दिए जायेंगे |
सुरेन्द्र ने मन ही मन सोचा- अगर एक दिन में तीन बैग भी सही पते पर पहुँचाऊंगा,
तो एक दिन में पंद्रह हज़ार रुपये कमा सकता हूँ |
यह सोचकर, सुरेन्द्र ने आव देखा ना ताव, बिना कुछ सवाल-जवाब किए सीधे सहमति
जाहिर कर दी |
सुरेन्द्र की सहमति पर जेंटलमैन ने बताया- तुम्हें बैग कहाँ से मिलेगा और कहाँ
देना है, इस बात की जानकारी तुम्हें तुम्हारे मोबाइल नंबर पर मिल जाएगी | पर ध्यान
रहे, जब भी तुम बैग छोड़ने जाओगे तब अपनी टैक्सी में सवारी बिठाने की भूल मत करना !
सुरेन्द्र ने हाँ में हाँ मिलायी | इस तरह सीधा-साधा सुरेन्द्र, रुपये कमाने
के लालच में सफ़ेद थैलियों से भरे बैग को दिए गए पते पर पहुँचाने का काम करने लगा;
वह इस बात से अनजान था कि वे सफ़ेद थैलियाँ कुछ और नहीं, एक प्रतिबंधित ड्रग्स की
थी |
सुरेन्द्र प्रतिदिन दस से पंद्रह हज़ार रुपये तक कमाने लगा, उसका रुपये कमाने
का लालच और बढ़ने लगा | सुरेन्द्र रुपये कमाने के लालच में अँधा था, वह भूल गया कि
जेंटलमैन ने उसे बैग छोड़ते समय किसी सवारी को टैक्सी में बिठाने से मना किया था,
सो एक दिन जब वह थैलियों से भरा बैग छोड़ने जा रहा था तो रास्ते में उसने एक
व्यक्ति को अपनी टैक्सी में बिठा दिया |
सुरेन्द्र के बातूनी और मिलनसार व्यवहार की वजह से उस व्यक्ति ने बातों ही
बातों में अगली सीट पर रखे बैग के बारे में पूछ दिया | सुरेन्द्र ने भोलेपन से
कहा- यूँ ही किसी का कुछ सामान छोड़ने जा रहा हूँ |
वह व्यक्ति नारकोटिक्स विभाग में ड्रग इंस्पेक्टर था, जो शहर में ड्रग्स गिरोह
को पकड़ने के लिए सामान्य इंसान के वेश में गस्त लगा रहा था | इंस्पेक्टर को
सुरेन्द्र पर शक हुआ, तो उसने अपने साथियों को बुलाकर सुरेन्द्र की छानबीन करी और
सुरेन्द्र पकड़ा गया |
जब सुरेन्द्र पकड़ा गया, तो वह गिड़गिड़ाने लगा कि वह बेक़सूर है, उसे जेंटलमैन और
उसके गिरोह की कोई जानकारी नहीं थी, क्योंकि रुपये कमाने के लालच में उसने कुछ
नहीं पूछा था |
इंस्पेक्टर इस बात को समझ गया था कि ड्रग्स गिरोह ने सीधे-साधे सुरेन्द्र को
रुपये कमाने का लालच देकर अपने झांसे में फंसाया है | फिर इंस्पेक्टर ने सुरेन्द्र
को सफ़ेद थैलियों के बारे में बताया और उसी जगह जाने दिया जहाँ वह बैग छोड़ने जा रहा
था, इस तरह इंस्पेक्टर ने सुरेन्द्र के साथ मिलकर ड्रग्स गिरोह को रंगे हाथ पकड़ा |
हालांकि ड्रग इंस्पेक्टर की नेकी और इंसानों को समझने की वजह से सुरेन्द्र को
माफ़ कर दिया गया, लेकिन उस दिन के बाद सुरेन्द्र कभी भी दुबारा रुपये कमाने के
लालच में नहीं पड़ा |
प्रिय दोस्तों, रुपये कमाने की इच्छा हम सभी की होती है, लेकिन
धन-दौलत कमाने का शॉर्टकट रास्ता हमेशा बेईमानी और गलत कामों का होता है | धन-दौलत
कमाने के लालच में बिना सोचे-समझे कार्य कभी न करें | धन्यवाद|
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