बल्ली गाँव के पास वाले जंगल में एक साधु बाबा रहते थे | बल्ली गाँव के लोग
बाबा के भोजन-पानी की व्यवस्था कर दिया करते थे | बाबा की झोपड़ी जंगल में ऐसी जगह
पर थी कि जो भी व्यक्ति जंगल में आता, बाबा की नजर उस पर पड़ जाती |
बाबा झोपड़ी के बाहर बैठकर हरी-ध्यान करते रहते थे | बाबा का एक आजीवन व्रत था कि
वे एक दिन में सिर्फ तीन बार बात करते थे |
एक दिन दूर के किसी गाँव से एक चोर चोरी करके भागा-भागा बल्ली गाँव के पास
वाले जंगल के समीप पहुँचा | चोर को लगा कि पुलिस से बचने के लिए जंगल में छुपना
उचित है, इसलिए वह जंगल में घुसा ; जंगल में घुसते ही चोर की नजर बाबा पर पड़ी |
चोर, बाबा के समीप आकर बोला- मेरे पीछे पुलिस पड़ी है, मैं इस जंगल में छुपना
चाहता हूँ | अगर पुलिस मुझे ढूँढ़ते हुए आएगी तो उन्हें मेरे बारे में कुछ मत बताना
|
बाबा ने कहा- मैं झूठ नहीं बोलता, सदा सत्य बोलता हूँ |
चोर ने बाबा को धमकाकर कहा- अगर तूने मेरे बारे में किसी से भी सच बोला तो मैं
तुझे जान से मार डालूँगा !
ऐसा कहकर, चोर जंगल के अंदर भाग गया |
कुछ देर बाद, बल्ली गाँव से दो चरवाहे आये | वे बाबा के लिए भोजन लेकर आये थे,
उन्होंने बाबा को भोजन देकर कहा- नमस्ते बाबा, हम आपके लिए भोजन लेकर आये हैं | आप
भोजन करिये, हम अपनी गाय-बकरी जंगल में चराकर वापस आते हैं |
बाबा उनसे बोलना चाहते थे कि जंगल में चोर झुपा है इसलिए संभलकर जाना, पर जैसे
ही बाबा यह बोलने वाले थे, बाबा को चोर की जान से मारने की धमकी याद आ गयी और बाबा
डर गए ; लेकिन बाबा ने झूठ भी नहीं बोला, बाबा ने कहा- ठीक है, संभलकर आराम से
जाना, जंगल में कई तरह के खतरे छुपे रहते हैं |
बल्ली गाँव के लोग अक्सर जंगल में गाय-बकरी चराने आते थे, कभी कोई अप्रिय घटना
नहीं घटी, इसलिए उन दोनों चरवाहो ने भी बाबा की नसीहत को हल्के में लिया और जंगल
में अपनी गाय-बकरियों के साथ आगे बढ़ गए |
थोड़ी देर बाद, पुलिस चोर को ढूँढते हुए बल्ली गाँव के पास वाले जंगल में
पहुँची | जंगल में घुसते ही पुलिस ने बाबा को देखा और बाबा के समीप आकर पूछा- क्या
यहाँ कोई चोर पुलिस से बचकर भागा है? किस दिशा में भागा है?
बाबा सदा सत्य बोलते थे, लेकिन चोर की धमकी से भी डरे हुए थे, इसलिए बाबा ने
कहा- जाने वाला चला गया, अंदर जाकर किस दिशा में गया इसका मुझे अंदाजा नहीं है |
यह मेरे आज के दिन की आखिरी बात थी |
पुलिस जंगल में चोर को ढूँढने लगी | पुलिस ने देखा कि दो चरवाहे गाय-बकरियों
के साथ हैं, पुलिस को उनमे से एक चरवाहे पर शक हुआ और वे उसे पकड़कर ले गए |
वह चरवाहा बहुत बोलता रहा कि वह चोर नहीं है, लेकिन पुलिस ने उसे नहीं छोड़ा |
उसकी बेगुनाही के विषय में बाबा ही बता सकते थे, जो कि उस दिन नहीं बोल सकते थे |
अगली सुबह, पुलिस ने चरवाहे के बारे में बाबा से पूछा- क्या यह व्यक्ति ही
भागा हुआ चोर है?
बाबा ने कहा- नहीं, यह तो बल्ली गाँव का रहने वाला एक चरवाहा है |
पुलिस ने बाबा को फटकारा- तो फिर तुमने स्पष्ट रूप से यह क्यों नहीं कहा था कि
जंगल में दो चरवाहे और एक चोर है | अब तक तो वह चोर न जाने कहाँ भाग गया होगा !
बाबा ने सत्यवादी बनते हुए कहा- मैंने जो भी कहा, सच ही कहा |
इस बात पर चरवाहे ने लताड़ा- बाबा, आपने हमें क्यों नहीं बताया कि जंगल में एक
चोर छुपा हुआ है, कम से कम हम तो इस बात से सचेत रहते |
बाबा ने सफाई दी- मैंने तुम्हें भी खतरों से सतर्क रहने के लिए आगाह किया था |
आज की मेरी तीन बातें समाप्त हो गयी हैं |
पुलिस ने बाबा को डाँट लगायी- ऐसे अधूरे सत्य बोलने का क्या फायदा, जिससे
सामने वाले को सिर्फ और सिर्फ गलतफहमी ही हो | इससे तुम पर कोई कैसे भरोसा करेगा !
तुम्हारे इस सदा सत्यवादी बने रहने वाले व्रत का कोई औचित्य नहीं, जब तुम्हारे
सत्य वचनों में स्पष्टता नहीं है |
बाबा का सिर शर्म से नीचे झुक गया, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी |
प्रिय दोस्तों, जो भी कहो, जितना भी कहो, हमेशा स्पष्ट रूप से
अपनी बात कहो | अस्पष्ट बोला हुआ सत्य सिर्फ गलतफहमी पैदा करता है, जिससे कई
नुकसान हो सकते हैं और आप दूसरों का भरोसा खो सकते हो | अतः सदैव स्पष्ट रूप से
अपनी बात कहो | धन्यवाद|
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